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#कथाकार हेठ टोला 'रमुआ......रे रमुआ.........! च

#कथाकार 
 हेठ टोला

'रमुआ......रे रमुआ.........!
चल उठ......भोज खाय चल........|
पर रमुआ हूँ ...हूँ ..कर फिर सो गया। बेचारा जानवरों की सेवा करते करते रमुआ थककर देर रात सोया था। 
'सरररवा पाड़ा..........'
भैंस की नींद सोता है....रामखेलावन ने बेटे को एक भद्दी गाली दी।
काफी मशक्कत के बाद रमुआ उठा।   
'बप्पा अब तो भोर हो गया.......बिजैया नहीं हुआ कि?......रमुआ पूंछा।
बिजैय्या तो कब्बे हो गया.........
फिर अभी तक.......?
फिर क्या.......?
बेटा हमलोग हेठ टोला बाले हैं न......इसलिए!
प्रताप दरोगा की बेटी का बियाह था,शादी में उसने काफी 
पैसे खर्चे थे। लड़का किसी ऑफिस का बाबू था,लाखोँ की ऊपरी कमाई थी।जमीन ज़ायदाद की कोनो कमी न थी,सो प्रताप ने रामबाबू को बेटी के लिए पसंद किया था।

रमुआ अनमने मन से हाथ मुँह धोया,लोटा में पानी लेकर  चलने को तैयार हुआ।
'हमीं लोग मिलते हैं सबसे आखिर में'...........रमुआ बिरोध के स्वर में बोला!
' अरे बेटा!हमलोग अछूत हैं इसलिये.........!
इ अछूत का होता है बप्पा.......रमुआ बोला।
'चल ज्यादा लेचररि न छाँट.........'
रामखेलावन अपने भाग्य को कोसते हुए बेटे को एक हलकी सी मीठी झिड़की दी,और भोज खाने को चल दिए।
               सुधांशु शेखर 9504727245

©सुधांशु शेखर #कथाकार
#कथाकार 
 हेठ टोला

'रमुआ......रे रमुआ.........!
चल उठ......भोज खाय चल........|
पर रमुआ हूँ ...हूँ ..कर फिर सो गया। बेचारा जानवरों की सेवा करते करते रमुआ थककर देर रात सोया था। 
'सरररवा पाड़ा..........'
भैंस की नींद सोता है....रामखेलावन ने बेटे को एक भद्दी गाली दी।
काफी मशक्कत के बाद रमुआ उठा।   
'बप्पा अब तो भोर हो गया.......बिजैया नहीं हुआ कि?......रमुआ पूंछा।
बिजैय्या तो कब्बे हो गया.........
फिर अभी तक.......?
फिर क्या.......?
बेटा हमलोग हेठ टोला बाले हैं न......इसलिए!
प्रताप दरोगा की बेटी का बियाह था,शादी में उसने काफी 
पैसे खर्चे थे। लड़का किसी ऑफिस का बाबू था,लाखोँ की ऊपरी कमाई थी।जमीन ज़ायदाद की कोनो कमी न थी,सो प्रताप ने रामबाबू को बेटी के लिए पसंद किया था।

रमुआ अनमने मन से हाथ मुँह धोया,लोटा में पानी लेकर  चलने को तैयार हुआ।
'हमीं लोग मिलते हैं सबसे आखिर में'...........रमुआ बिरोध के स्वर में बोला!
' अरे बेटा!हमलोग अछूत हैं इसलिये.........!
इ अछूत का होता है बप्पा.......रमुआ बोला।
'चल ज्यादा लेचररि न छाँट.........'
रामखेलावन अपने भाग्य को कोसते हुए बेटे को एक हलकी सी मीठी झिड़की दी,और भोज खाने को चल दिए।
               सुधांशु शेखर 9504727245

©सुधांशु शेखर #कथाकार