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दोस्ती- महज़ एक शब्द नहीं पूरी की पूरी दुनिया है। व

दोस्ती- महज़ एक शब्द नहीं
पूरी की पूरी दुनिया है।
व्यक्तित्व निर्माण से लेकर
सामाजिक जीवन की प्रतिष्ठा में,
दोस्त और दोस्ती का हाथ होता है।
एक ढक्कन दारू और पहली सिगरेट!
कोई पिता,भाई,बंधु रिश्तेदार नहीं देते।
बुराई हो या अच्छाई दोनों का प्रवेश द्वार
सिर्फ़ दोस्ती है।
अच्छे दोस्त चुनें बेहतर जीवन पायें।
समाज में प्रतिष्ठित हों सम्मान पायें। Congratulations for winning the challenge-266 :)

प्रिय लेखको,

कल का विषय था "इम्तिहान दोस्ती का" और आठ पंक्तियों में आपको अपनी रचना लिखने को कहा गया था। आप सभी ने एक से बढ़कर एक रचनाएँ लिखीं जो बहुत सराहनीय हैं। कृपया मात्राओं का ध्यान रखें और अपनी स्वरचित रचनाएँ ही लिखें।

दोस्ती एक नायाब तोहफा है एक ऐसा रिश्ता जो निस्वार्थ हमारे जीवन में आ जाता है और अचानक ही एकदम ख़ास बन जाता है न धर्म दिखाई देता है न जात-पात और रहन सहन बस पसन्द आता है तो दोस्ती का वो प्रेम भरा साथ और यही दोस्ती तब सच्ची होती है जब इसमे जलन ईर्ष्या न हो बल्कि बुरे वक़्त में साथ रहने का जज़्बा हो, दुःख में काम आने की हिम्मत हो और यदि दोस्त की भलाई के लिए उससे कुछ वक़्त मुँह मोड़ना भी पड़ रहा है तो भी हिम्मत हो। दोस्ती में असल इम्तिहान वही है जब दोस्त सच्चाई के साथ डटा रहे, हर हाल में साथ खड़ा रहे।
दोस्ती- महज़ एक शब्द नहीं
पूरी की पूरी दुनिया है।
व्यक्तित्व निर्माण से लेकर
सामाजिक जीवन की प्रतिष्ठा में,
दोस्त और दोस्ती का हाथ होता है।
एक ढक्कन दारू और पहली सिगरेट!
कोई पिता,भाई,बंधु रिश्तेदार नहीं देते।
बुराई हो या अच्छाई दोनों का प्रवेश द्वार
सिर्फ़ दोस्ती है।
अच्छे दोस्त चुनें बेहतर जीवन पायें।
समाज में प्रतिष्ठित हों सम्मान पायें। Congratulations for winning the challenge-266 :)

प्रिय लेखको,

कल का विषय था "इम्तिहान दोस्ती का" और आठ पंक्तियों में आपको अपनी रचना लिखने को कहा गया था। आप सभी ने एक से बढ़कर एक रचनाएँ लिखीं जो बहुत सराहनीय हैं। कृपया मात्राओं का ध्यान रखें और अपनी स्वरचित रचनाएँ ही लिखें।

दोस्ती एक नायाब तोहफा है एक ऐसा रिश्ता जो निस्वार्थ हमारे जीवन में आ जाता है और अचानक ही एकदम ख़ास बन जाता है न धर्म दिखाई देता है न जात-पात और रहन सहन बस पसन्द आता है तो दोस्ती का वो प्रेम भरा साथ और यही दोस्ती तब सच्ची होती है जब इसमे जलन ईर्ष्या न हो बल्कि बुरे वक़्त में साथ रहने का जज़्बा हो, दुःख में काम आने की हिम्मत हो और यदि दोस्त की भलाई के लिए उससे कुछ वक़्त मुँह मोड़ना भी पड़ रहा है तो भी हिम्मत हो। दोस्ती में असल इम्तिहान वही है जब दोस्त सच्चाई के साथ डटा रहे, हर हाल में साथ खड़ा रहे।