कुछ सिक्कों में उछाल आया, महफ़िल से अजीब सवाल आया, शरीफों की महफिल सजी थी जनाब और मैं बदनाम कुचों से गुजर आया, वह गली के गलियारे से देखा करती थी मुझे हर रोज़, उसकी खामोश सवालों का मैं महफ़िल का जवाब बन आया। ☺️ • Like • Comment • Share • ☺️ _______________________________ सहभागिता सबके लिए खुली है |#आपकी_सहेली शीर्षक : #सिक्के