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राह सुनसान है, हो चली शाम है न निॆशां कदमों के न

राह सुनसान है, हो चली शाम है 
न निॆशां कदमों के न ही पहचान है
तनहा राह-ए-वफ़ा में बेबस सफ़र 
मिले मंज़िल कि न, ये इम्तिहान है

©Shiv Narayan Saxena
  #saath . . . . . ये इम्तिहान है

#saath . . . . . ये इम्तिहान है

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