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मेरी प्यारी डायरी जब जहाँ के इस भीड़ से मैंने किस

मेरी प्यारी डायरी

जब जहाँ के इस भीड़ से मैंने किसी को अपने साथ नही पाया था,  तब तूने ही तो मेरा हाथ थाम कर मुझे अपने पास बैठया था। 
जब औरो ने मेरा मज़ाक बनाया था और मेरे दिल को खूब दुखाया था, तब तूने ही तो मेरे हर दर्द को अपने पन्नो में छिपाया था। 
जब बातें किसी से भी कहना नामुमकिन सा लगता था ये मन किसी से कुछ भी कहने पर कितना डरता था तब एक तू ही तो थी जिससे मैंने अपने हर गम को बताया। था
ओ मेरी प्यारी डायरी जब कभी दर्द से रूबरू और खुशियों से खुश ज्यादा हो जाती हूँ तो एक तू ही तो है जिसके पास मै भागी भागी चलकर आती हूँ
ओ मेरी प्यारी डायरी एक तू ही तो है जो मुझे मुझसे रूबरू करती हैं
हर बार मुझे पहले से ज्यादा निखारति है
मेरे हर दर्द, हर खुशी को अपने पन्नों मे सजाती है ओ मेरी प्यारी डायरी...

©Shira
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