सारी रात बिताई मैंने सुबह के इंतज़ार में! रातों ने इतना बेचैन किया, रुलाया तेरी यादों नें! मैं भागती रहीं तुझसे ताकि तू दिखे नहीं, मग़र तू ही तू आया नजर, मेरे घर के हर दीवारों पे! सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 आपके अल्फ़ाज़ शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻 सभी प्रतिभागी अपनी अभिव्यक्ति के लिए पूर्ण स्वतंत्र हैं 💗 पंक्तियों की बाध्यता नहीं है. 1. फॉन्ट छोटा रखें और बॉक्स में लिखें