लोग हंसते हें मेरी दीवानगी पे मैं तो रोता हूं उनकी नादानगी पे उनकी बातों मे वक्त बरबाद क्यों हम करें लोग हंसते हें तो हंसने दो दीवानगी पे उनके हंसने का सबब पूछता हूं क्यों वो हंसते हें मेरी दीवानगी पे ताहिर हुसैन दिल्ली भारत