जाना है उस पार मुझे ऐ नाखुदा ले चल, किसी की याद में डूबे ना दिन ना डूब जाए पल। है जख्मों का सहारा ही के मेरे दर्द जिंदा है, किसी चारागरी के हाथ का ना मसअला न हल। by BK Romesh ऊषा माथुर samridhi_kapoor