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हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली , कुछ या

हद-ए-शहर  से  निकली  तो  गाँव  गाँव  चली ,
कुछ  यादें  मेरे  संग  पांव  पांव  चली ,
सफ़र  जब  धूप  का  किया  तो  तजुर्बा  हुआ ,
वो  ज़िन्दगी  ही  क्या  जो  छाँव  छाँव  चली...!

©Ankit yaduvanshi #धूप_छांव
हद-ए-शहर  से  निकली  तो  गाँव  गाँव  चली ,
कुछ  यादें  मेरे  संग  पांव  पांव  चली ,
सफ़र  जब  धूप  का  किया  तो  तजुर्बा  हुआ ,
वो  ज़िन्दगी  ही  क्या  जो  छाँव  छाँव  चली...!

©Ankit yaduvanshi #धूप_छांव