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#hambolenge हम वो बीरभद्र नही की हर ज्योति लिंग

#hambolenge

हम वो बीरभद्र नही की 
हर ज्योति लिंग की रक्षा कर  सकेगें

वो शेर हम नही की
माँ दुर्गा की सवारी हम बन सकेंगे

हम तिछ़ण स्वर वाले है
पर अपनी ही आवाज पर बैठे है

अभी न बोल सकोगे तो
हे भरतपुत्र अब हम कब बोलेगें

दासता युगों की अपनी कहती 
आर्य पुरूषो ने जब हुंकार भरी है
लोहा लेकर लोहा चकनाचूर करी 
अंततः बिजय की डंकार भरी है

नारीदेह पर नजर जिसने डाली
रामजी की उसको ललकार पड़ी है
बस एक सपथ कौटिल्य ने खाली
अंततः नंदवंश की जर्जर आधार पड़ी है

हम तिछ़ण स्वर वाले है
पर अपनी ही आवाज पर बैठे है

अभी न बोल सकोगे तो
हे भरतपुत्र अब हम कब बोलेगें

देखो नेताओ की घोटाले लगी 
जब जब चौकीदार ने झंकार भरी है
कुछ की दबती पीठ उठने लगी 
अंततः संवेदनाओ से संसार भरी है

कुछ ने मनोस्थिति ऐसी पाली
नवयुतियो के लिए दुर्व्यवहार भरी है
करा हरकत कुछ ने ऐसी जाहिल
वेदना से कहर गज माँ ने हाहाकार भरी है

हम वो बीरभद्र नही की 
हर ज्योति लिंग की रक्षा कर  सकेगें

वो शेर हम नही की
माँ दुर्गा की सवारी हम बन सकेगें

हम तिछ़ण स्वर वाले है
पर अपनी ही आवाज पर बैठे हैं

अभी न बोल सकोगे तो
हे भरतपुत्र अब हम कब बोलेगें #RIPHUMANITY  POOJA KASHYAP Ashisha Singh Rajput Writer_Rahul veer Nayak Rakhi
#hambolenge

हम वो बीरभद्र नही की 
हर ज्योति लिंग की रक्षा कर  सकेगें

वो शेर हम नही की
माँ दुर्गा की सवारी हम बन सकेंगे

हम तिछ़ण स्वर वाले है
पर अपनी ही आवाज पर बैठे है

अभी न बोल सकोगे तो
हे भरतपुत्र अब हम कब बोलेगें

दासता युगों की अपनी कहती 
आर्य पुरूषो ने जब हुंकार भरी है
लोहा लेकर लोहा चकनाचूर करी 
अंततः बिजय की डंकार भरी है

नारीदेह पर नजर जिसने डाली
रामजी की उसको ललकार पड़ी है
बस एक सपथ कौटिल्य ने खाली
अंततः नंदवंश की जर्जर आधार पड़ी है

हम तिछ़ण स्वर वाले है
पर अपनी ही आवाज पर बैठे है

अभी न बोल सकोगे तो
हे भरतपुत्र अब हम कब बोलेगें

देखो नेताओ की घोटाले लगी 
जब जब चौकीदार ने झंकार भरी है
कुछ की दबती पीठ उठने लगी 
अंततः संवेदनाओ से संसार भरी है

कुछ ने मनोस्थिति ऐसी पाली
नवयुतियो के लिए दुर्व्यवहार भरी है
करा हरकत कुछ ने ऐसी जाहिल
वेदना से कहर गज माँ ने हाहाकार भरी है

हम वो बीरभद्र नही की 
हर ज्योति लिंग की रक्षा कर  सकेगें

वो शेर हम नही की
माँ दुर्गा की सवारी हम बन सकेगें

हम तिछ़ण स्वर वाले है
पर अपनी ही आवाज पर बैठे हैं

अभी न बोल सकोगे तो
हे भरतपुत्र अब हम कब बोलेगें #RIPHUMANITY  POOJA KASHYAP Ashisha Singh Rajput Writer_Rahul veer Nayak Rakhi