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यात्रा ही केवल लेखक का होना तय नही करता। पूर्णतः म

यात्रा ही केवल लेखक का होना तय नही करता। पूर्णतः मन का विचार केवल साहित्य पर निर्भर नही। एक दृष्टीकोण से ये सही है मगर लेखक अपने मन का प्रतिनिधि है।  एक साहित्यकार और एक गंवार दोनो ही लेखक हो सकते हैं। केवल उनमें मन के भाव का उद्गम होना उनके परिस्थिति और समय के अनुसार जन्म लेता या मिट जाता है। 
अब.. घट ही पट है और पट ही घट है। ये सिद्धान्त के अनुसार अगर एक घड़ा ही कपड़ा है तो आश्चर्य है कैसे। एक घड़ा मिट्टी का अंश है। वहीं एक कपड़ा जो उसी मिट्टी से कपास के द्वारा बना वह भी मिट्टी है। जैसे एक शरीर मिट्टी है, मरणोपरांत जब भस्मविभूषित होता है तो बचती केवल मिट्टी है। सार्विक तातपर्य है कारण और उसके करण। ऐसे ही लेखक है जो मन से उपजता है और अथाह है। एक लेखक का परिचय
यात्रा ही केवल लेखक का होना तय नही करता। पूर्णतः मन का विचार केवल साहित्य पर निर्भर नही। एक दृष्टीकोण से ये सही है मगर लेखक अपने मन का प्रतिनिधि है।  एक साहित्यकार और एक गंवार दोनो ही लेखक हो सकते हैं। केवल उनमें मन के भाव का उद्गम होना उनके परिस्थिति और समय के अनुसार जन्म लेता या मिट जाता है। 
अब.. घट ही पट है और पट ही घट है। ये सिद्धान्त के अनुसार अगर एक घड़ा ही कपड़ा है तो आश्चर्य है कैसे। एक घड़ा मिट्टी का अंश है। वहीं एक कपड़ा जो उसी मिट्टी से कपास के द्वारा बना वह भी मिट्टी है। जैसे एक शरीर मिट्टी है, मरणोपरांत जब भस्मविभूषित होता है तो बचती केवल मिट्टी है। सार्विक तातपर्य है कारण और उसके करण। ऐसे ही लेखक है जो मन से उपजता है और अथाह है। एक लेखक का परिचय
madhav1592369316404

Madhav Jha

New Creator

एक लेखक का परिचय