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तुम ज्वाला की आग हो _ नदी झरनों से गुजरी एक शाम ह

तुम ज्वाला की आग हो _  नदी झरनों से गुजरी एक शाम हो
समुंदर के खरे पानी का सबाब हो _या फिर बनारस की घाट हो

तुम बेघर परिंदे का घर हो _ना पहुंची आवाज की मानसून हो
तुम सत्य हो _ तुम निरंतर हो _  मलाल की आखिरी हद हो

©Rumaisa
  #Bnarasi_ishq #Banaras #tum