दर्द अब दिल का तुमसे छुपाने लगी हूं, आधी बात मनमें रखती हूं, आधी बताने लगी हूं। सिक्के के दो पहलू होते हैं, तुमको बताने लगी हूं, तुम्हें तुम्हारा हिस्सा दिखाकर , खुद का छुपाने लगी हूं। बहस न हो कभी हमारे बीच , हर बात पर मुस्कुराने लगी हूं, दूरियां जगह न ले ले कहीं , हमारे तुम्हारे दरम्यान , इसलिए एमोजी जैसा मुंह बनाने लगी हूं। रोऊं या हसूं खुद पर , हक़ है नहीं मेरा तुम पर ऐसा जताने लगी हूं, तुम जश्न न मना सको मेरी बेबसी का , इसलिए बातें घुमाने लगी हूं। दिखावे की दुनिया है , उस राह पर अब मैं भी जाने लगी हूं, समुंदर की लहर उठ रही है अब दिल में , पर अब हर आंसू छुपाने लगी हूं । ©kalpana srivastava #लवलाइफ