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इन आँखों को नजाने कितने राँझे भाते है हर रोज़ अब त

इन आँखों को नजाने कितने राँझे भाते है हर रोज़ 
अब तो इनकी आँखों का शहर मुझे बंटा कबीलों में लगता है,

बदनाम महोब्बत हो गयी शरीफो के मोहल्ले मे
मुझे  ब्यपार कमीनो का लगता है,

ज़िन्दगी भर क्या साथ निभाना किसी का दो महीने का
 प्यार भी इनको सफर मिलों का लगता है,

नजाने कितना प्यार है इनके दिल मे जो लुटा रहे है मुझे तो 
इनका 250 ग्राम का दिल भी किलो का लगता है, aman6.1 Pratibha Tiwari(smile)🙂 Parvej Khan Shizuka
इन आँखों को नजाने कितने राँझे भाते है हर रोज़ 
अब तो इनकी आँखों का शहर मुझे बंटा कबीलों में लगता है,

बदनाम महोब्बत हो गयी शरीफो के मोहल्ले मे
मुझे  ब्यपार कमीनो का लगता है,

ज़िन्दगी भर क्या साथ निभाना किसी का दो महीने का
 प्यार भी इनको सफर मिलों का लगता है,

नजाने कितना प्यार है इनके दिल मे जो लुटा रहे है मुझे तो 
इनका 250 ग्राम का दिल भी किलो का लगता है, aman6.1 Pratibha Tiwari(smile)🙂 Parvej Khan Shizuka