लाजवाब थे वो, कमाल करते थे, इश्क़ मुझसे बेपनाह,बेहिसाब करते थे, बाते कम, बस सवाल करते थे, सवाल के बहाने तंग मुझे जनाब करते थे। कहाँ गए,दिख नही रहे,एक जमाना बीत गया, जो मेरी एक मुस्कुराहट पर लिख दिया किताब करते थे। लाजवाब थे वो, कमाल करते थे, इश्क़ मुझसे बेपनाह,बेहिसाब करते थे, बाते कम, बस सवाल करते थे, सवाल के बहाने तंग मुझे जनाब करते थे। कहाँ गए,दिख नही रहे,एक जमाना बीत गया, जो मेरी एक मुस्कुराहट पर लिख दिया किताब करते थे।लाजवाब थे वो, कमाल करते थे,