हम शरण आ गए हैं सुनो माँ हमारी। मातु हमपर दिखा दो कृपा आज भारी। वंदना कर रहे जोड़कर हाथ दोनों- आरती भी करें हम सदा ही तुम्हारी। मातु जीवन हमारा तुम्हीं अब सँवारो। लाख कष्टों दुखों से हमें तुम उबारो। नाव अज्ञान की ले चले बीच धारा- अब फँसी नाव है माँ किनारे उतारो। राह हमको तुम्हीं माँ सही अब दिखा दो। शुद्ध हो आचरण ये कला तुम सिखा दो। शूल दिल में चुभे आज अज्ञानता की- पुष्प कुछ ज्ञान की माँ जरा तुम बिछा दो। #मुक्तक_गीत #माँ_दुर्गा #विश्वासी