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आजकल बाल के साथ दाढ़ी नहीं बनती, पूछता है नाई,बनान

आजकल बाल के साथ दाढ़ी नहीं बनती,
पूछता है नाई,बनानी है दाढ़ी,
कारण-रकम अलग से या शौक की बात,
कल जाके नाखून, वैसे सैलून में काटे नहीं जाते,
मगर कटे भी नाई से तो,
सवाल सब काट दूं ,
पैरों के तो परे ही परंपरा से है,
वजह--शादीशुदगी,
खैर, नाखून सब काट दूं,
हाथों की उंगलियों की ही सही,
शौक तो यह भी चर्राया-
बड़े नाखून एक-दो रख लें,
फिर कोई क्यूं पूछे-
नाखून क्यूं बढ़ते हैं,
तुर्रा ये-
पैसों के पीछे मनुष्य का जंगलीपन बढ़ गया है,
हक मारने की मन-मंशा।

©BANDHETIYA OFFICIAL जंगलीपन शहरी आदमी में !

#Life
आजकल बाल के साथ दाढ़ी नहीं बनती,
पूछता है नाई,बनानी है दाढ़ी,
कारण-रकम अलग से या शौक की बात,
कल जाके नाखून, वैसे सैलून में काटे नहीं जाते,
मगर कटे भी नाई से तो,
सवाल सब काट दूं ,
पैरों के तो परे ही परंपरा से है,
वजह--शादीशुदगी,
खैर, नाखून सब काट दूं,
हाथों की उंगलियों की ही सही,
शौक तो यह भी चर्राया-
बड़े नाखून एक-दो रख लें,
फिर कोई क्यूं पूछे-
नाखून क्यूं बढ़ते हैं,
तुर्रा ये-
पैसों के पीछे मनुष्य का जंगलीपन बढ़ गया है,
हक मारने की मन-मंशा।

©BANDHETIYA OFFICIAL जंगलीपन शहरी आदमी में !

#Life