आजकल बाल के साथ दाढ़ी नहीं बनती, पूछता है नाई,बनानी है दाढ़ी, कारण-रकम अलग से या शौक की बात, कल जाके नाखून, वैसे सैलून में काटे नहीं जाते, मगर कटे भी नाई से तो, सवाल सब काट दूं , पैरों के तो परे ही परंपरा से है, वजह--शादीशुदगी, खैर, नाखून सब काट दूं, हाथों की उंगलियों की ही सही, शौक तो यह भी चर्राया- बड़े नाखून एक-दो रख लें, फिर कोई क्यूं पूछे- नाखून क्यूं बढ़ते हैं, तुर्रा ये- पैसों के पीछे मनुष्य का जंगलीपन बढ़ गया है, हक मारने की मन-मंशा। ©BANDHETIYA OFFICIAL जंगलीपन शहरी आदमी में ! #Life