जिनके हौसलों पर ज़रा भी असर नहीं करती जेठ की दोपहरी और पूस की रात उनपर भरी ठंड में ठंडे पानी की बरसात करवाते हो, डूब मरो चुल्लू भर पानी में ऐ कुर्सी वालो, क्यों किसी पद की गरिमा का