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कबीर बानी पृष्ठ 102 तथा 103 का सारांश:- धर्मदास ज

कबीर बानी पृष्ठ 102 तथा 103 का सारांश:-

धर्मदास जी ने परमेश्वर कबीर जी से प्रश्न किया कि हे परमेश्वर! मुझे आपने अंश तथा वंश दोनों का ज्ञान दिया है। अंश है नाद यानि वचन के पुत्रा अर्थात् शिष्य परंपरा। वंश है बिन्द यानि शरीर के पुत्रा। (जो धर्मदास जी के वंश हैं) धर्मदास जी ने पूछा है कि जो मेरे वंश वाले दीक्षा देंगे, वो किस लोक में जाएंगे और जो अंश वाले से दीक्षा लेगा, उसके अनुयाई किस लोक या द्वीप
में जाएंगे?

धर्मदास-उवाच

©Vivek Solanki
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