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अपने अर्श की ठंडक में एक शोख़ सीमतन,सिमट रही थी अभ

अपने अर्श की ठंडक में एक शोख़ सीमतन,सिमट रही थी अभी झील
के किनारे, बाद-ए-सबा चल रही
थी अभी,ख्वाबे-मर्गे-तन्हाई में वह
अपना फ़लसफ़ा खो रहे थे अभी,
खनकता हुआ जिस्म,शबे-गम की
तीरगी में रो रहा था अभी मौजे-
खतर के लव्ज़ों में तुम्हारी तसव्वर
हो रही थी अभी शोख़सीमतन
अपने अर्श की ठंडक में एक शोख़ सीमतन,सिमट रही थी अभी झील
के किनारे, बाद-ए-सबा चल रही
थी अभी,ख्वाबे-मर्गे-तन्हाई में वह
अपना फ़लसफ़ा खो रहे थे अभी,
खनकता हुआ जिस्म,शबे-गम की
तीरगी में रो रहा था अभी मौजे-
खतर के लव्ज़ों में तुम्हारी तसव्वर
हो रही थी अभी शोख़सीमतन

शोख़सीमतन