जाने कभी गुलाब लगती है जाने कभी शबाब लगती है तेरी आखें ही हमें बहारों का ख्बाब लगती हे मैं पिए रहु या न पिए रहु, लड़खड़ाकर ही चलता हुं क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती है #shayari #pyar #mohabbat #hindi