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बेरोजगारी दुनियादारी,कभी ख़्यालों में बैकुण्ठ कैला

 बेरोजगारी दुनियादारी,कभी ख़्यालों में बैकुण्ठ कैलाश..!
समझदारी कभी लाचारी,करता अपने अस्तित्व की तलाश..!

दौलत शौहरत वाले,सभी दिल के मैले काले..!
उड़ाते हमारे जीवन का,अहँकार में यूँ ही उपहास..!

हारती हिम्मत उठाती ज़हमत,ठहराव का अभाव रोकता विकास..!
पैरों तले खिसकती जमीं,धुँधला नज़र आता ख़्वाबों का आकाश..!

गिरेंगे उठेंगे थकेंगे क़दम पर,करते रहेंगे यूँ ही प्रयास..!
वो बैठे हैं ख़ुद को मसीहा मान कर,हमारी हार के लगा रहे है क़यास..!

हौसलों का हिमालय ढहने न देंगे,होंगे कभी भी न जीवन से निराश..!
चमकेंगे हीरे की भाँति हम भी,ख़त्म होगा पिछड़ेपन का वनवास..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #raindrops #berojgari