सुबह की लाली अंशुमाली उन्मुक्त गगन पर, कई रंगों की ओढनी लिए चढ़ी सिंदूरी चादर, सुंदर दृश्य से तरबतर हर कोना आत्मा का, शजर कतार में खड़े भरे हाजरी मार्तण्ड का, शीत नवजीवनी तरंगें तस्कीन करें हृदय को, शीतल पुरवईया तृप्त करें मेरे अंतर्मन को। Collab challenge :– 01 ➡️ पंक्तिया - 2 - 6 ➡️ समय सीमा - 12pm (16 July) 👉 इस पोस्ट को हाईलाइट करना ना भूले 👉 इस पोस्ट को लाइक करे 👉 समय सीमा के अंदर रचना प्रस्तुत करें 👉 रचना को पूरा करने के बाद कमेंट बॉक्स में Done कम्मेंट