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रो ही दू अब अपनी तकलीफों पे तो ये कम होना क्या बाट

रो ही दू अब अपनी तकलीफों पे तो ये कम होना क्या
बाट लू जो गम अपने तो फिर रोना क्या
एक मुखौटे ओढ़े हैं अपने सच छुपाने को
उतार कर फेंक तो दे पर होना क्या
बेतुकी मेरी बाते बेतुकी मेरी कहानियां
इन बेकार की बातों में उलझ कर खोना क्या
खतम हो जाए एक दास्तां,इसमें कुछ नया तो नहीं
हर रोज दफ़न होते हैं लोग, इक नई लाश पे रोना क्या।

©Jg Varsha #JgVarsha #JgVarshaquotes #Life 
#seaside
रो ही दू अब अपनी तकलीफों पे तो ये कम होना क्या
बाट लू जो गम अपने तो फिर रोना क्या
एक मुखौटे ओढ़े हैं अपने सच छुपाने को
उतार कर फेंक तो दे पर होना क्या
बेतुकी मेरी बाते बेतुकी मेरी कहानियां
इन बेकार की बातों में उलझ कर खोना क्या
खतम हो जाए एक दास्तां,इसमें कुछ नया तो नहीं
हर रोज दफ़न होते हैं लोग, इक नई लाश पे रोना क्या।

©Jg Varsha #JgVarsha #JgVarshaquotes #Life 
#seaside
varshajghadei1296

Jg Varsha

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