रो ही दू अब अपनी तकलीफों पे तो ये कम होना क्या बाट लू जो गम अपने तो फिर रोना क्या एक मुखौटे ओढ़े हैं अपने सच छुपाने को उतार कर फेंक तो दे पर होना क्या बेतुकी मेरी बाते बेतुकी मेरी कहानियां इन बेकार की बातों में उलझ कर खोना क्या खतम हो जाए एक दास्तां,इसमें कुछ नया तो नहीं हर रोज दफ़न होते हैं लोग, इक नई लाश पे रोना क्या। ©Jg Varsha #JgVarsha #JgVarshaquotes #Life #seaside