#OpenPoetry चल दिल फलक मे आशियाना सजाते है। अपने शहर से दूर कही घर बनाते है। बेवजह लोग सताते है जख्मो मे नमक लगाते है। ना रहे कोई वास्ता पुरानी जिंदगी से, दूर कही पे जाकर अपनी महफिल सजाते है। rathaur..................