मैं तुम्हारा इंतज़ार, कैसे करता भला दोबारा प्यार, कैसे करता इज़्तिराब बस तिरे सराब का था यूं अपने दिलपे वार कैसे करता कविराज अनुराग इज़्तिराब=बेचैनी, व्याकुलता, अधीरता। •सराब=धोखेबाजी, मृगतृष्णा!