जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है। ज़रा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ़ में अभी क्यों उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है। ख़ानदानी