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** लेखन का महत्त्व ** मैंने अपने जीवन म

      **  लेखन का महत्त्व **

   मैंने अपने जीवन मे बहुत पुस्तकें पढ़ी हैं या यूँ कहूँ कि हर एक किरदार को जीवंत पाया है अपने भीतर ,उन्ही किरदारों को जीते जीते मैं स्वयं कब एक किरदार में ढल गई पता ही नही चला ।
 फिर हर दिल हर लम्हा मेरा किरदार बदल जाता और मैं फ़िर एक अलग किरदार को जीने लगती ।ज़िन्दगी के इन्ही उतार चढ़ाव में ज़िन्दगी का एक दौर गुज़र गया ।वो दौर जिसमें चाहते,ख्वाहिशें मन मे कुलाँचे भरती हैं दर्द और उलझनों के साथ गुज़रा ,लेकिन मैंने कभी अपनी ज़िंदगी से कोई शिकायत नही की ,कि शायद इसे ही नसीब कहते हैं ।
कच्ची मिट्टी पर हम जब पानी डालते हैं तो वो उस पानी को सोख लेती है ,और उससे निकली एक सोंधी महक पूरे वातावरण को सुगन्धित कर देती  है ।
लेकिन वही पानी जब लगातार मिट्टी पर पड़े तो वह मिट्टी कीचड़ में परिवर्तित हो जाती है अर्थात अपनी महक छोड़ वह दुर्गंध में ढल जाती है ।
ठीक वैसा ही हुआ मेरे साथ भी मैंने हर ज़िम्मेदारी को खुशी खुशी निभाया मिट्टी की तरह खुशबू बिखेरती रही मगर हालातो के पानी ने एक दिन मेरा स्वरूप ही बदल दिया ।और खुशबू बिखेरने वाली मिट्टी स्वयं ही बिखर गई ।
किताबों का पढा सारा ज्ञान शून्य हो गया और मुझे लगने लगा कि मैं एक बहुत कमजोर ,दब्बू और ज्ञानविहीन प्राणी हूँ शायद इस पृथ्वी पर एक भार मात्र ।
लेकिन कहते हैं न कि परिवर्तन सृष्टि का नियम है और परिवर्तन ही इंसान को हालातों से लड़ने के लिए मजबूत बनाता है और वही परिवर्तन लेकर आई क़लम मेरे लिए ।क़लम हाथ मे आते ही जैसे अस्तित्व पर पड़ा धूल का बवंडर हवा हो गया ।
और कुछ ही दिनों में क़लम से ऐसी दोस्ती हुई कि अब उसके बिना जीवन शून्य लगता है ।लेखन ने मेरे जीवन की दिशा ही बदल दी ।
सच कहूँ तो मेरा पुनर्जन्म हुआ एक अस्तित्त्व विहीन प्राणी में नए प्राण फूँक दिए क़लम ने ,।लेखन कोई कला नही लेखन तो रूह से निकली गुरबाणी है ,ख़ुदा की इबादत में पढ़ी गई आयते हैं ।मन्दिर की घण्टियों के सुँदर स्वर हैं जो रूह को सुकून पहुंचाए वो शय है लेखन ।
लेखन का महत्त्व जब समझ मे आता है जब हम स्वयं से लड़ रहे होते हैं और हमारी आवाज़ सुनने वाला कोई नही होता ,तब लेखन जगाता है आत्मविश्वास बोलने का अपनी बात रखने का ।और प्रतिकार करने का ।लेखन ने सचमुच मेरी ज़िंदगी बदल दी ।आज मैं सर उठा के  कह सकती हूँ कि मैं भी सिर्फ़ एक हाड़ मांस का पुतला नही एक रूहानी ताकत हूँ आवाज़ हूँ उस सच की जिसे झूठ के पैरों तले रौंद दिया जाता है ।मैं भी रखती हूँ ताकत इतिहास बदलने की और ।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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