White हंसाकर ऐ ज़िन्दगी, तू इतना रुलाती क्यूं है। सब पास है मेरे, फिर उसका अहसास दिलाती क्यूं है। जब सब कुछ बिखर जाता है, तो आखिर संभालती क्यूं है। जो मेराकभी हो ही नहीं सकता, फिर उस से मिलाती क्यूं है। हंसाकर ऐ ज़िन्दगी, तू इतना रुलाती क्यूं है। शहद का घूंट पिलाकर, तू ज़हर देती क्यूं है। कभी दुःख कभी सुख, यह पड़ाव जीवन में लातीं क्यूं है। जब अन्दर से टूट जातीं हूं, तो आकर समझाती क्यूं है। हंसाकर ऐ ज़िन्दगी, तू इतना रुलाती क्यूं है। ©Priyanka Poetry रुलाती क्यूं है 😌