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हलक से फलक तक अपना दर्द, कभी अमा,कभी अंधेरा, कभी ग

हलक से फलक तक अपना दर्द,
कभी अमा,कभी अंधेरा, कभी गहन,
सूरज तक निगल जाये तभी -
कहीं जुगनू कोई खींच ले नयन,
कुदरत का गजब आकर्षण,
कोई विकल्प रहे दर्शन!

©BANDHETIYA OFFICIAL
  #किरण उम्मीद की!

#किरण उम्मीद की! #ज़िन्दगी

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