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गली में ----- बेटे को गली में पतंग लूटते देख,

गली में   -----
 
 बेटे को गली में पतंग लूटते देख, साहब नाराज हुए। डाँटते हुए बाजार ले गए। पतंग-मांझा दिलाया और नसीहत दी कि ‘अब कभी पतंग लूटने के लिए नहीं भागेगा।”
बेटे ने सिर हिलाया।
            कुछ दिनो बाद साहब ने ‘मोटा हाथ मारा। ब्रीफकेस में डाल घर लौटे। तभी देखा, बेटा फिर गली में पतंग लूट रहा था। साहब ने क्रोधित होते हुए कहा, ‘‘कमबख्त। उस दिन ‘पतंग-मांझा दिलवाया था ना। अब क्यों पतंग लूटने के लिए भागता है?’’
            ‘‘पापा, जो मजा लूटने में है, वो खरीद कर उड़ाने में नहीं है।” बेटे ने उत्तर दिया।
            साहब कुछ न बोले। ब्रीफकेस को कस कर पकड़ा और घर के अन्दर हो लिए।
गली में   -----
 
 बेटे को गली में पतंग लूटते देख, साहब नाराज हुए। डाँटते हुए बाजार ले गए। पतंग-मांझा दिलाया और नसीहत दी कि ‘अब कभी पतंग लूटने के लिए नहीं भागेगा।”
बेटे ने सिर हिलाया।
            कुछ दिनो बाद साहब ने ‘मोटा हाथ मारा। ब्रीफकेस में डाल घर लौटे। तभी देखा, बेटा फिर गली में पतंग लूट रहा था। साहब ने क्रोधित होते हुए कहा, ‘‘कमबख्त। उस दिन ‘पतंग-मांझा दिलवाया था ना। अब क्यों पतंग लूटने के लिए भागता है?’’
            ‘‘पापा, जो मजा लूटने में है, वो खरीद कर उड़ाने में नहीं है।” बेटे ने उत्तर दिया।
            साहब कुछ न बोले। ब्रीफकेस को कस कर पकड़ा और घर के अन्दर हो लिए।
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KK Mishra

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