मंजिल तक पहुंचने के लिए जज्बा जरूरी है बहाने बनाकर बैठ जाना तो खाली मजबूरी है ठंड हो, गर्मी हो, या मूसलाधार बरसात हो दिल में हर वक्त कुछ कर गुजरने की बात हो फिर तो नाप लेता इंसान कैसी भी दूरी है मंजिल तक पहुंचने के लिए जज्बा जरूरी है. सूरज, चाँद क़ो ही देखो, कभी भी ठहरते नहीं मौसम बदल जाये, लेकिन वे बहाना करते नहीं इसलिए खुद भी है रोशन, सबको भी देते नूरी है मंजिल तक पहुंचने के लिए जज्बा जरूरी है ©Kamlesh Kandpal #mnjil