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दोस्तों,,,कला विहिन पुरुष पशु के समान होता है,,,,,

 दोस्तों,,,कला विहिन पुरुष पशु के समान होता है,,,,,कला ही एक ऐसा आभुषण है जो किसी व्यक्ति को उसे भीड से हटकर बनाती है,,जीवन मे सब कुछ है लेकिन खुशीयाँ नही वह जिदंगी किस काम की,,,,, संगीत जीवन का अमोघ अंग है अत आप उसे अपनाये ,,, संगीत आवाज निकालने की वह सुँदर से सुँदर विधा है,,जो कर्ण प्रिय हो,,,,,यह सीधे कहे तो "वह ध्वनि जो सबको प्रफुल्लित कर दे संगीत कहलाता है,,,,,,जो लम्हे हमे प्रफुल्लित कर दे उसी को जिदंगी कहते है,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड
 दोस्तों,,,कला विहिन पुरुष पशु के समान होता है,,,,,कला ही एक ऐसा आभुषण है जो किसी व्यक्ति को उसे भीड से हटकर बनाती है,,जीवन मे सब कुछ है लेकिन खुशीयाँ नही वह जिदंगी किस काम की,,,,, संगीत जीवन का अमोघ अंग है अत आप उसे अपनाये ,,, संगीत आवाज निकालने की वह सुँदर से सुँदर विधा है,,जो कर्ण प्रिय हो,,,,,यह सीधे कहे तो "वह ध्वनि जो सबको प्रफुल्लित कर दे संगीत कहलाता है,,,,,,जो लम्हे हमे प्रफुल्लित कर दे उसी को जिदंगी कहते है,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड

दोस्तों,,,कला विहिन पुरुष पशु के समान होता है,,,,,कला ही एक ऐसा आभुषण है जो किसी व्यक्ति को उसे भीड से हटकर बनाती है,,जीवन मे सब कुछ है लेकिन खुशीयाँ नही वह जिदंगी किस काम की,,,,, संगीत जीवन का अमोघ अंग है अत आप उसे अपनाये ,,, संगीत आवाज निकालने की वह सुँदर से सुँदर विधा है,,जो कर्ण प्रिय हो,,,,,यह सीधे कहे तो "वह ध्वनि जो सबको प्रफुल्लित कर दे संगीत कहलाता है,,,,,,जो लम्हे हमे प्रफुल्लित कर दे उसी को जिदंगी कहते है,, ओम भक्त मोहन बनाम कलम मेवाड