जब तक सत्ता अक्षुण थी तो लोकतंत्र मजबूत रहा।
अब जब लुटिया डूब गई तो लोकतंत्र भी डूब गया।
तुमने भारत को जितना हरपल ही नोचा खाया है।
बस उस पाप के बदले का तुमने अब फल ये पाया है।
धर्म बाँटने के ख़ातिर तुमने एक समुदाय को जोड़ लिया।
लगता है जैसी की एक पेड़ की एक डाल है तोड़ लिया।
अपनी किस्मत चमकाने को देखो क्या क्या बोल गए।
लोकतंत्र ख़तरे में है तुम किस मुह से हो बोल गए।