Nojoto: Largest Storytelling Platform

जल रहा है हिन्दुस्तान नफरत की आग में, चारों ओर अफ

जल रहा है हिन्दुस्तान नफरत की आग में,

चारों ओर अफरा तफरी है दिलों में धुँआ आँखों मे सैलाब है,
 
किसी की छीन रही रोज़ी रोटी टूट रहा ख़्वाब है,

कोई इसे रंग दे रहा देशप्रेम का किसी पर लांछन देशद्रोह का,

ये कैसा समय ,ये कैसा समा है,

                     पथराई आंखे,

                      टूटते सपने,

                      सूना आँचल,

                      बिखरता आसरा,

हरकोई ख़ौफ़ज़दा बदहवास है,

कोई खरीद रहा नोनिहालो के लिए निवाले,कोई विध्वंश का सामान है,

उसने  संजोया घरोंदा पल-पल की कीमत देकर,

राख कर दिया किसी ने चंद सिक्के लेकर,

किसी को अपना धर्म खतरे में नज़र आता है,किसी को अपना देश,

उसका तो धर्म,ईमान,परिवार,पड़ोसी,उसका घरोंदा ही उसका हिन्दुस्तान था,

किसी के सीने में देशप्रेम, किसी की फितरत दिमाग मे,

हाँ साहब....जल रहा है हिदुस्तान नफरत की आग में.......
                                                   
                                                              डॉ पंकज उपाध्याय नफरत की आग
जल रहा है हिन्दुस्तान नफरत की आग में,

चारों ओर अफरा तफरी है दिलों में धुँआ आँखों मे सैलाब है,
 
किसी की छीन रही रोज़ी रोटी टूट रहा ख़्वाब है,

कोई इसे रंग दे रहा देशप्रेम का किसी पर लांछन देशद्रोह का,

ये कैसा समय ,ये कैसा समा है,

                     पथराई आंखे,

                      टूटते सपने,

                      सूना आँचल,

                      बिखरता आसरा,

हरकोई ख़ौफ़ज़दा बदहवास है,

कोई खरीद रहा नोनिहालो के लिए निवाले,कोई विध्वंश का सामान है,

उसने  संजोया घरोंदा पल-पल की कीमत देकर,

राख कर दिया किसी ने चंद सिक्के लेकर,

किसी को अपना धर्म खतरे में नज़र आता है,किसी को अपना देश,

उसका तो धर्म,ईमान,परिवार,पड़ोसी,उसका घरोंदा ही उसका हिन्दुस्तान था,

किसी के सीने में देशप्रेम, किसी की फितरत दिमाग मे,

हाँ साहब....जल रहा है हिदुस्तान नफरत की आग में.......
                                                   
                                                              डॉ पंकज उपाध्याय नफरत की आग