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बिन बोले मोहब्बत करता रहता हूँ | तू जग का उजाला ,

बिन बोले मोहब्बत करता रहता हूँ |

तू जग का उजाला ,

मैं जुगनू भी न ,

पर जलता रहता हूँ | 

मैं कोरी किताब सा ,

तू मुर्ख-सी पढ़ती रहती है | 

तू ईद के चाँद सी ,

राह तेरी मैं ताकता रहता हूँ | 

मैं वो भँवरा ,

जो बिन बोले बस 

फूलों को चखता रहता हूँ | 

तू  शांत  शाम  सी ,

मैं  बूंदो सा गिरता रहता  हुँ | 

तू वो गुलाब जिसका कांटा भी ,

मैं हंस कर सहता रहता हूँ | 

हूँ तो खिलाडी लूडो का पर ,

रूठने -मनाने  के इस खेल से डरता  हूँ | 

तेरे हां या ना के झमेले से ,

मैं खुद को बचाता रहता हूँ |  

जज्बातों को कहने से ,

बस एतराज़ बरतता हूँ | 

क्योंकि मैं तो बस , 

बिन बोले मुहब्बत करता रहता हूँ | 

                                                       - सुखदेव (7728056326 )

   प्रेम-रस
बिन बोले मोहब्बत करता रहता हूँ |

तू जग का उजाला ,

मैं जुगनू भी न ,

पर जलता रहता हूँ | 

मैं कोरी किताब सा ,

तू मुर्ख-सी पढ़ती रहती है | 

तू ईद के चाँद सी ,

राह तेरी मैं ताकता रहता हूँ | 

मैं वो भँवरा ,

जो बिन बोले बस 

फूलों को चखता रहता हूँ | 

तू  शांत  शाम  सी ,

मैं  बूंदो सा गिरता रहता  हुँ | 

तू वो गुलाब जिसका कांटा भी ,

मैं हंस कर सहता रहता हूँ | 

हूँ तो खिलाडी लूडो का पर ,

रूठने -मनाने  के इस खेल से डरता  हूँ | 

तेरे हां या ना के झमेले से ,

मैं खुद को बचाता रहता हूँ |  

जज्बातों को कहने से ,

बस एतराज़ बरतता हूँ | 

क्योंकि मैं तो बस , 

बिन बोले मुहब्बत करता रहता हूँ | 

                                                       - सुखदेव (7728056326 )

   प्रेम-रस
devbhati5979

Dev Bhati

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