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ज़मीन पे कुछ उनके भी ख़्वाब दिखते हैं  जो भी लोग य

ज़मीन पे कुछ उनके भी ख़्वाब दिखते हैं 
जो भी लोग ये इंसानी किताब लिखते हैं 

बादलों ने छेक लिया हो जैसे चाँद को 
ऐसे मगरूर ये शर्मो हिजाब दिखते हैं 

बहुत हुए शिखवे शिकायत मेरी ख़ामोशी पर  
निगाहों से क़त्ल का आप हिसाब लिखते हैं ?

रात ठहरी थी और हम भी दूबे दूबे रहे 
पलकों के भीतर उनके शादाब दिखते है 

हमने इश्क़ में अल्फ़ाज़ की हद तोड़ दी 
वो हर ख़त में अब तक आदाब लिखते हैं
 #आदाब #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqbaba #हिंदी_कविता 

ज़मीन पे कुछ उनके भी ख़्वाब दिखते हैं 
जो भी लोग ये इंसानी किताब लिखते हैं 

बादलों ने छेक लिया हो जैसे चाँद को 
ऐसे मगरूर ये शर्मो हिजाब दिखते हैं 
ज़मीन पे कुछ उनके भी ख़्वाब दिखते हैं 
जो भी लोग ये इंसानी किताब लिखते हैं 

बादलों ने छेक लिया हो जैसे चाँद को 
ऐसे मगरूर ये शर्मो हिजाब दिखते हैं 

बहुत हुए शिखवे शिकायत मेरी ख़ामोशी पर  
निगाहों से क़त्ल का आप हिसाब लिखते हैं ?

रात ठहरी थी और हम भी दूबे दूबे रहे 
पलकों के भीतर उनके शादाब दिखते है 

हमने इश्क़ में अल्फ़ाज़ की हद तोड़ दी 
वो हर ख़त में अब तक आदाब लिखते हैं
 #आदाब #वत्स #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqbaba #हिंदी_कविता 

ज़मीन पे कुछ उनके भी ख़्वाब दिखते हैं 
जो भी लोग ये इंसानी किताब लिखते हैं 

बादलों ने छेक लिया हो जैसे चाँद को 
ऐसे मगरूर ये शर्मो हिजाब दिखते हैं 
vatsa1506109692311

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