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- "पत्रकारिता होती पत्तलकारिता" पत्रकारिता के इस

- "पत्रकारिता होती पत्तलकारिता"

पत्रकारिता के इस नए दौर में,
विश्वनियता पहुँच गयी है रोड़ पे ।
वो नेताओं के चलने को भी ब्रेकिंग न्यूज़ बताते है,
इस लिए ही तो असल मे पत्तलकार कहलाते है।

पत्तलकारिता कुछ यूं समा गई है,
गरीबो की आवाज दबा दी गयी है।
वो अपनी पहुँच को सब मे बतलाते है,
झूठी खबरे दिखाकर सब को भ्रमित कर जाते है।

उन मजलूमों की बात कौन कर पाएगा,
क्या पता था TRP के लिए सब बिक जाएगा।
ब्रेकिंग न्यूज़ के नाम पर तोड़ते है काँच के टुकडो को,
असल मे वो तोड़ते है हमारे विश्वास को ।

झूठ, नफरतों के इस दौर में,
किसको माने सही किसको गलत।
अगर रखनी है अपनी आवाज को बुलंद,
तो करो झूठे पत्रकारों का बहिष्कार अपने बीच से।
😡😡😡

©Shikhar Gupta about fake journalism 😡

#spark
- "पत्रकारिता होती पत्तलकारिता"

पत्रकारिता के इस नए दौर में,
विश्वनियता पहुँच गयी है रोड़ पे ।
वो नेताओं के चलने को भी ब्रेकिंग न्यूज़ बताते है,
इस लिए ही तो असल मे पत्तलकार कहलाते है।

पत्तलकारिता कुछ यूं समा गई है,
गरीबो की आवाज दबा दी गयी है।
वो अपनी पहुँच को सब मे बतलाते है,
झूठी खबरे दिखाकर सब को भ्रमित कर जाते है।

उन मजलूमों की बात कौन कर पाएगा,
क्या पता था TRP के लिए सब बिक जाएगा।
ब्रेकिंग न्यूज़ के नाम पर तोड़ते है काँच के टुकडो को,
असल मे वो तोड़ते है हमारे विश्वास को ।

झूठ, नफरतों के इस दौर में,
किसको माने सही किसको गलत।
अगर रखनी है अपनी आवाज को बुलंद,
तो करो झूठे पत्रकारों का बहिष्कार अपने बीच से।
😡😡😡

©Shikhar Gupta about fake journalism 😡

#spark