जी कबूतर और गौरिया जैसी ज़िन्दगी घरौंदा बना, अंडे दे, अंडो मे से बच्चे निकले तो बड़ा कर उड़ा दे ना उनको जी लेने दे ना उनको अपनी ज़िन्दगी इंसान बन क्यों पिस्ता है,बच्चों से क्यों उम्मीद करता है कि सेवा करेंगे, घुट घुट के क्यों जीता है अच्छा था जब जवान था अब बुड्ढा हो कर क्यों दर दर की ठोकर खाता है क्यों प्यार मे पागल होता है किस की खातिर जीता है और किस की खातिर मरता है कुछ मालूम नहीं इसको चलता है अपने स्वार्थ की खातिर अच्छे इंसान को गाली देता है रेंगते कीडे की तरह तू जीता है जिसके लिए रोता है वो तेरे मर जाने पर ज़मीन, जायजाद रूपया पैसे की खातिर court के चक्कर लगता है तेरी तस्वीर show की खातिर दीवार पर टगाता है दौलत की खातिर तेरा खून भी हो जाता है डर डर के तू जी रहा है मानव खुद ही क्यों नहीं मर जाता है कि कोई तुझे मारे, तू अकेला आया था दुनियां मे अकेला जाऐगा किस के लिए आँसू बहा रहा है देख वो तेरे शराद का भोजन मजे से खा रहा है! ©POOJA UDESHI #MAANAV किस की खातिर तू जीता है मानव 🤔😓😓😓🙏