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कल की ही थी बात , एक लड़की की इज्जत पर डाला गया थ

 कल की ही थी बात , एक लड़की की इज्जत पर डाला गया था हाथ
सरेआम बाजार में डुपट्टा खींचा लड़की का उन हैवानों ने,
क्या मर गई थी इंसानियत उस दिन खुद -ब- खुद या मार दिया था उसे ऐसे हैवानों ने?
वो लगाती रही मदद की गुहार, किन्तु जो खड़े थे वहां   शायद वो भी थे मौन या फिर बेजुबान
आखिर टूट गई उसकी हिम्मत, छोड़ दी उसने इस
किस से मांगती मदद जब कोई नहीं था उसके साथ
कर ही डाला बलात्कार उस मासूम का, छोड़ दिया उसको मरने के लिए
द्रोपदी की इज्जत बचाई थी जिस कृष्ण ने वो क्यो नही आया उस मासूम को बचाने के लिए?
बलात्कार हुआ था जिस लड़की का,उसी को दोषी ठहराया गया
परन्तु उन बलात्कारियों पर किसी ने हाथ तक न उठाया
लोगों  ने भी कहा:
मरी कहां हैं वो अभी है तो उसमें जान
हां मरी नहीं थी वो पर मर गया था उसका स्वाभिमान।
समाज ने छोटे कपड़ों को बलात्कार की वजह बताया था,
तो फिर क्यों उस निर्दोष का डुपट्टा हवा में उछाला गया था?

©Geetika Rathi
  #Rape #rapevictim #Balatkar