ओ पितामह भीष्म, पी गए क्यूं क्रोध को , जब द्रोपदी का चीर खींचा, दुष्ट दुशासन ने, ओ पितामह भीष्म, दांव पर लगने दिया क्यूं, कुलवधु को, तुमने जुए के खेल में, ओ पितामह भीष्म , हां ये भावना , बहुत मानव, बना देती है देवों को, ओ पितामह भीष्म, तुमने देवत्व क्यूं ना छोड़ दिया, मानवता के लिए, ओ पितामह भीष्म , कृष्ण के क्रोध ने , उन्हें ऊंचा उठा दिया, देव या मानव नहीं, ईश्वर बना दिया, #क्रोध #भीष्म #कृष्ण