Nojoto: Largest Storytelling Platform

हर आस को हारे बैठे है, तब जाकर नदी किनारे बैठे है।

हर आस को हारे बैठे है,
तब जाकर नदी किनारे बैठे है।
उसका साथ हर दुख में दिया,
तभी सुख में सजा लिए बैठे है।
      लेखक - पवनकुमार सजा लिए बैठे है।
हर आस को हारे बैठे है,
तब जाकर नदी किनारे बैठे है।
उसका साथ हर दुख में दिया,
तभी सुख में सजा लिए बैठे है।
      लेखक - पवनकुमार सजा लिए बैठे है।