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सुप्रभात जी, ******************* सूर्य किरण ये

सुप्रभात जी, 
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सूर्य  किरण  ये  कह  रही, उठो  हुई  है  भोर । 
उम्मीदों  के  साथ  में , चले  लक्ष्य  की  ओर ।। 

सुबह  सुहानी  आ   गई, करे  ईश  को याद। 
दोनों   कर  को  जोड़  कर, लेले  आशीर्वाद।। 

बंद नेत्र  अब  खोल  दे, जागों  हुई  प्रभात। 
आलस  निंद्रा  त्याग  दे , बीत  गई  है रात।।

©Uma Vaishnav
  #poetry #prabhat
umavaishnav1851

Uma Vaishnav

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