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ज़िन्दगी  अजब तमाशा है हर जगह  छाई  हताशा है, नाम

ज़िन्दगी  अजब तमाशा है
हर जगह  छाई  हताशा है, 

नाम को जीना  कोई जीना
न ज़िन्दगी से कोई आशा है, 

चाहिए सब को  छाँव मगर
हर तरफ फैली  निराशा है, 

विराट है भय का यह मंजर
हर तरफ फैली इक लाशा है, 

इंसानों से नफ़रत हो करते
पर पत्थर में खुदा तराशा है, 

बुतों की  नुमाइश हो करते
ज़मीर को कभी  तलाशा है

©Harish Chander ज़िन्दगी  अजब तमाशा है
हर जगह  छाई  हताशा है, 

नाम को जीना  कोई जीना
न ज़िन्दगी से कोई आशा है, 

चाहिए सब को  छाँव मगर
हर तरफ फैली  निराशा है,
ज़िन्दगी  अजब तमाशा है
हर जगह  छाई  हताशा है, 

नाम को जीना  कोई जीना
न ज़िन्दगी से कोई आशा है, 

चाहिए सब को  छाँव मगर
हर तरफ फैली  निराशा है, 

विराट है भय का यह मंजर
हर तरफ फैली इक लाशा है, 

इंसानों से नफ़रत हो करते
पर पत्थर में खुदा तराशा है, 

बुतों की  नुमाइश हो करते
ज़मीर को कभी  तलाशा है

©Harish Chander ज़िन्दगी  अजब तमाशा है
हर जगह  छाई  हताशा है, 

नाम को जीना  कोई जीना
न ज़िन्दगी से कोई आशा है, 

चाहिए सब को  छाँव मगर
हर तरफ फैली  निराशा है,