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पल्लव की डायरी विषपान किया जग की माया का धुरी हिमा

पल्लव की डायरी
विषपान किया जग की माया का
धुरी हिमालय पर रमायी थी
नश्वर देह को तजा, तब शिव कहलाये थे
कंकण कंकण कर्मो को त्यागा
तब भगवान शंकर बन पाये थे
रूप आज बदल दिया, जग में
सुरापान और भगड़ी बना दिया
देवो के देव महादेव को
अपने अनुरुप ढाल दिया
जग की शुद्धि जिसने की
उस देव को व्यसन का दोष लगा दिया
काल जिनके बस में था
ज्ञाता वो सृष्टि के कहलाये थे
                                          प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  काल जिनके बस में था,सृष्टि के ज्ञाता कहलाये थे
#nojohindi

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