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सुन ....ता भी जा .... दास्ताँ अये दिल ..

सुन ....ता भी जा ....
          दास्ताँ अये दिल .........

अब ओर न किया कर अपने दर्दे दिल... 
          को वन्या इन अधूरे लफ़्जों को कलम 
से कागज पे उतार कर 


कई टूटे हुये दिल रो दिया ....
      करते है तेरे ये अधूरे लब्ज़ों को दिल में उतार के

©Guru Dev
  ram singh yadav पूजा उदेशी gudiya ≋P≋u≋s≋h≋p≋