कितने अच्छे थे वो दिन माँ का दुलार,पापा की डाँट, दादी की कहानियाँ,दादा जी के किस्से मास्टर जी की मार, दोस्तों के पीछे ।।। कितने अच्छे थे वो दिन एक रूपये की चार संतरे की टाफियों का मिलना, फिर उन सब को लड़-झगड़ कर एक साथ खाना, रविवार को माँ का हमें कपड़े की तरह नहलाना, और रविवार के दिन को 12 बजे शक्तिमान देखना, मेहमान के आने पर उसके द्वारा लाई मिठाई को देखना, उसके जाने के बाद चुपके से मिठाई को खा लेना।।। कितने अच्छे थे वो दिन बारिश का पता उसकी सौंधी-सौंधी खुशबू से चल जाना, बारिश में दोस्तों के साथ कागज़ की नाव बना के तैराना, फिर किस की नाव अच्छी हैं उसके लिए झगड़ना, बारिश में माँ के हाथ के बने हुए पकौडै़-चटनी खाना, बीमार हो जाने पर फिर उनकी प्यारी सी डाँट खाना, दादी की कहानी सुनते-सुनते सो जाना, मुझे भी कोई लौटा दो मेरे बचपन के दिन! कितने अच्छे थे वो दिन.....।।। #YQbaba #YQDidi #मेरीनाव #childhoodmemories