कुछ पता है हम जी रहे या मर रहे रोजाना।आंसू के घूंट पीकर लबों पर मुस्कुराहट अजीब फलसफा जिंदगी का।इस सितमगर दुपहरी में जिंदगी की छांव ढुंढना है मुश्किल बहुत ।मौत मिलने को आ गयी आज सोचा जिंदगी कब मिली थी। Do u know