शक्ल से यूं तो सभी लगते यहां इंसान हैं। पर टटोलो तो सभी के खोखले ईमान हैं। सोचता था राज़ मेरा है उसे कैसे पता, याद आया तब कि दीवारों के भी तो कान हैं। ज़िन्दगी पर चल सका है बस भला किसका यहां, मौत का आता वहां से जब कभी फ़रमान है। बात कुछ भी तो नहीं बस दिल ज़रा सा टूटा है, मैं जियूंगा हंँस के अब भी मुझमें जब तक जान है। तोहमत मुझ पर लगाना, तो लगाना ढंग का, चार लोगों में मेरी भी थोड़ी अब पहचान है। हैं नमन शत उन सपूतों को जिहोंने देश हित, अपने खूँ का कतरा कतरा कर दिया कुर्बान है। साथ रहते हैं यहां हिंदू मुसलमां भाई जैसे, देख लो सबसे अनोखा मेरा हिंदुस्तान है। ©Lukesh Sahu #Nojoto #nojotoshayari #nojotohindi #nojotohindishayari #gajal #ग़ज़ल #ग़ज़ल_غزل #हिंदीशायरी #हिन्दी #MereKhayaal