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v मेरी कलम से d छोड़ के शहरों के चकाचौध आज वो दौड़

v  मेरी कलम से d
छोड़ के शहरों के चकाचौध आज वो दौड़ आये है,,
जो पहले केहते थे गाँव बुरा है,,
आज वो लौट आये है,,
कभी शहरों में रहना वो शान समझते थे,,
झूठे ही सही पर गुमान समझते थे,,
आज वो गाँव में जान बचाने आये है,,
आज सभी अज्ञानी गाँव लौट आये है,,

देख के चकाचौध की बर्बादी,,शहर छोड़ आए है,,
भाई साहब शहरों से गाँव में मौत लाये है,,
निर्भिक ,स्वतंत्रता से ओछल खुशहाल भरी थी गावों की ज़िन्दगी,,
आज पढ़े लिखे अज्ञानी आये है,,
कभी गाँव में रहना गवारा लगता था,,
आज गाँव में रहने शहर के रइस खानदानी आये है,,
कभी कमियां निकाल वो शहर का गुणगान करते थे,,
सुख-सुविधाओं की कमी है ये बात डालते थे,,
आज वही परम धूर्त अम्बानी आये है,,
छोड़ के शहरों के चकाचौध ज़िन्दगी बचाने बिल गेट्स के खानदानी आये है,,,

"vikas dev dubey" #gyani
v  मेरी कलम से d
छोड़ के शहरों के चकाचौध आज वो दौड़ आये है,,
जो पहले केहते थे गाँव बुरा है,,
आज वो लौट आये है,,
कभी शहरों में रहना वो शान समझते थे,,
झूठे ही सही पर गुमान समझते थे,,
आज वो गाँव में जान बचाने आये है,,
आज सभी अज्ञानी गाँव लौट आये है,,

देख के चकाचौध की बर्बादी,,शहर छोड़ आए है,,
भाई साहब शहरों से गाँव में मौत लाये है,,
निर्भिक ,स्वतंत्रता से ओछल खुशहाल भरी थी गावों की ज़िन्दगी,,
आज पढ़े लिखे अज्ञानी आये है,,
कभी गाँव में रहना गवारा लगता था,,
आज गाँव में रहने शहर के रइस खानदानी आये है,,
कभी कमियां निकाल वो शहर का गुणगान करते थे,,
सुख-सुविधाओं की कमी है ये बात डालते थे,,
आज वही परम धूर्त अम्बानी आये है,,
छोड़ के शहरों के चकाचौध ज़िन्दगी बचाने बिल गेट्स के खानदानी आये है,,,

"vikas dev dubey" #gyani